- युनूस खान के महकमे से एक पत्र जारी हुआ, जिसमें इन सभी शिक्षकों के नाम थे और जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक द्वितीय नागौर ने इन सभी शिक्षकों को व्यवस्थार्थ लगा भी दिया।
- जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने द्वारा दिए गए आदेश की प्रति शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी तक को नहीं दी।
- देवनानी ने इस पूरी प्रक्रिया से अनभिज्ञता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच कराएंगे।
- जानकारी के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी नागौर बेनी गोपाल व्यास ने हाल ही में दाउद अली खां, मोहम्मद रफीक, महबूब खां, सरवर अली खां, महबूब खां व हकीम खां नामक 6 शिक्षकों को क्रमश: बेराथलकलां से निंबी कला, तांतवास से बालिया, तातिणा से अलखपुरा, छपारा से छोटी छापरी, चांवडिया से बैरी जतनपुरा और पाबूसर से दाउदसर स्कूलों में व्यवस्थार्थ लगाया।
- जो कार्यालय आदेश जिला माध्यमिक शिक्षा अधिकारी ने जारी किया है, उसमें स्पष्ट है कि माननीय मंत्री सार्वजनिक निर्माण एवं परिवहन विभाग के आदेश क्रमांक 447 आर- 14 जुलाई 2016 की पालना में इन शिक्षकों को प्रत्येक माह में 15-15 दिन शिक्षण व्यवस्थार्थ तैैनात किया जाता है।
- यह आदेश गोलमाल है। इसमें कहीं नहीं लिखा कि यह शिक्षक माह के कौन सी तारीख से कौन सी तारीख तक व्यवस्थार्थ रहेंगे।
- स्पष्ट है कि शिक्षक सुविधा मुताबिक किसी भी 15 दिन मनवांछित स्कूल में तैनात रहेंगे।
- डीईओ ने पत्र की प्रति मंत्री युनूस खान, निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर और उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा अजमेर मंडल अजमेर को भी भेजी है।
इनका कहना है
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा में इस तरह से शिक्षकों को व्यवस्थार्थ लगाने की मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं मामले की जांच करवाता हूं।
माध्यमिक उपनिदेशक जीवराज जाट ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में अभी काउंसलिंग हुई ही है। सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। इस मामले की जानकारी मिली है। जिला माध्यमिक शिक्षा अधिकारी द्वितीय को नोटिस देकर जवाब-तलब किया जाएगा।
डीईओ (मा) द्वितीय से सीधी बातचीत
सवाल : अभी स्कूलों में शिक्षकों को व्यवस्थार्थ लगाया जा रहा है।
जवाब : नहीं, अभी रोक लगी हुई है।
सवाल : आपने तो 6 शिक्षकों को व्यवस्थार्थ लगाया है?
जवाब : हां, वो परिवहन मंत्री के लिखित आदेश की पालना में किए हैं।
सवाल : क्या शिक्षा राज्य मंत्री व उप निदेशक को जानकारी में लाया गया?
जवाब :नहीं, इस मामले में उनसे पूछा ही नहीं।
सवाल : इसके पीछे क्या वजह रही?
जवाब : यह तो गलती रह गई, पूछना चाहिए था।
सवाल : परिवहन मंत्री के आदेश की पालना व प्रत्येक माह में 15 दिन व्यवस्थार्थ लगाने की भाषा सही है?
जवाब : पता नहीं ऐसे लिखा जाना चाहिए था या नहीं।